Promote Generic Medicines in country : - A master Stroke by PM Narendra Modi

देश में जेनेरिक दवाओं उपयोग को बढ़ावा देना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह कदम एक मास्टर स्ट्रोक व उनकी दूरगामी सोच का परिणाम कहा जाना चाहिए ।



क्या आप जानते हैं :-

क्या आप जेनेरिक दवाओं के बारे में जानते हैं  आप जो ब्रांडेड दवाई खाते हैं उनका उसी सामान बराबर गुणवत्ता वाला सबस्टीट्यूट वर्जन(Generic Version) बहुत ही कम कीमत में उपलब्ध है। जेनेरिक दवाएं मूल्य/कीमत में ब्रांडेड के मुकाबले 90% तक कम होती हैं। 82% डॉक्टर जेनेरिक दवाओं के उपयोग को सेफ मानते हैं क्या आप जानते हैं दवाओं के अफोर्डेबल जेनेरिक दवाओं को उपयोग में लाकर संपूर्ण विश्व में पिछले एक दशक में 1000 billion USD से भी ज्यादा वैल्यू कॉस्ट सेविंग की है यह एक अधिकारी के आंकड़े हैं अकेले साल 2010 में जेनेरिक दवाओं के उपयोग से 157 बिलीयन डॉलर की सेविंग हुई थी

भारत विश्व का सब सबसे बड़ा जेनेरिक मेडिसिन मैन्युफैक्चर एक्सपोर्ट करने वाला देश है। भारत सबसे उच्च गुणवत्ता मानकों पर जेनेरिक उत्पाद मैन्युफैक्चरिंग करता है। भारत में 35-40 प्रतिशत जनता को अफोर्डेबल गुणवत्ता वाला हेल्थ केयर उपलब्ध नहीं है।भारत में मैन्युफैक्चर होने वाली जेनेरिक दवाइयां विश्व के 200 देशों में एक्सपोर्ट होती है विश्व की कुल जेनेरिक आपूर्ति का 35 से 40% भारत पूरा करता है विश्व का हर पांचवी जेनेरिक टेबलेट ,कैप्सूल और इंजेक्शन भारत में मैन्युफैक्चर होता है भारत निर्मित जेनेरिक दवाएं खरीदने में अमेरिका , ब्रिटेन अन्य कई यूरोपियन विकसित देश सबसे आगे है जहां दवाइयां बेचने के लाइसेंस हासिल करने के कानून बहुत सख्त हैं

इसका सबसे बड़ा फायदा तो देश की उस 40 से 45% जनता को मिलेगा जो आज भी अफॉर्डेबिलिटी नहीं कर पाने के कारण अच्छा व संपूर्ण हेल्थ केयर प्राप्त नहीं कर पा रहे थी। वर्तमान में देश की जनता को अधिकतर उपयोग में आने वाले करीब -करीब 1500 प्रकार के Drug फॉर्मूलेशंस और बेहतरीन गुणवत्ता के OTC उत्पाद 50 से 90% तक कम कीमत पर उपलब्ध हो पा रहे हैं। यह देश की गरीब जनता के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए उठाया गया एक बहुत अच्छा कदम है और इसका फायदा देश के सभी 130 करोड़ लोगों को मिलना तय है।
भारत में प्रत्येक कमाने वाला नागरिक( परिवार का मुखिया ) अपनी आमदनी का 35%से 40% हेल्थ केयर प्रोडक्ट पर खर्चा करता है जिसमें से 80 से 85 प्रतिशत दवाइयां होती है होती है । देश में जेनेरिक दवाओं के प्रयोग को बढ़ावा देने से 40 प्रतिशत खर्चा जो अभी हो रहा है उस करते तो 10 परसेंट पर लाया जा सकता है और वह भी वर्तमान में मिल रही गुणवत्ता या क्वालिटी (Quality ) को कॉम्प्रोमाइज किए बिना । आम आदमी को महंगाई में राहत मिलेगी ही साथ ही एक्स्ट्रा सेविंग भी हो पाएगी ।
मुख्य फायदा यह भी है कि इसी अर्थव्यवस्था के अंदर अधिक प्रयास किए बिना , उत्पादों की गुणवत्ता भी मेंटेन रखते हुए देश के अंदर 20%-25% extra पैसा आ जाएगा र्क्योंकि अधिकतर जेनेरिक दवाएं 50 प्रतिशत से 90% एवरेज में कम कीमत में होती हैं , और साथ में जो जेनेरिक OTC प्रोडक्ट्स होते हैं वह भी बहुत कम रेट के अंदर आते है ।इतना सारा पैसा मार्केट में में नया आने से Purchasing पावर बढ़ती है तो अर्थव्यवस्था भी बढ़ेगी और चीजें खरीदने के लिए पैसा रहेगा तो वह चीजें खरीदी जाएगी तो इससे अन्य इंडस्ट्री मैं भी ग्रोथ आएगी और देश की इकोनामी में में भी विस्तार होगा।
जैसा कि आप जानते हैं फार्मा इंडस्ट्री भारत में बहुत बड़ी संख्या में रोजगार देने वाली वह कमाई देने वाली इंडस्ट्री है । वर्तमान समय के अंदर है भारत की जेनेरिक एक्सपोर्ट इंडस्ट्री को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा से जूझना पड़ रहा है, बड़ी फार्मा कंपनीज की दबाव के चलते नए-नए नियम व कानून विश्व में अन्य देशों में लग रहे हैं जिन पर फिर से कंप्लायंस करना होगा ।इसलिए इसलिए घरेलू मार्केट में जनरेट प्रमोट करने से इन कंपनियों को एक फ्यूचर सेफगार्ड मिलेगा ।
जेनेरिक दवाओं को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम:-
भारत सरकार स्वयं 6000 से अधिक जन औषधि केंद्रों के द्वारा दवाओं को देश में प्रचलित कर रही है ।
सरकार ने सभी प्राइवेट फार्मा कंपनी से भी जेनेरिक में बिजनेस मॉडल उतार मार्केट में लाने के लिए रिक्वेस्ट की है ।
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा सभी प्रैक्टिशनर्स व डॉक्टर्स के लिए अपने प्रिसक्रिप्शन में दवाओं के ब्रांडेड नाम की जगह जरूरी सॉल्ट को अच्छे वह साफ अक्षरों में लिखने की गाइडलाइन दो बार जारी की गई है।
इस गाइडलाइन को अब Legal बनाने के लिए पॉलिसी पर भी काम किया जा रहा है ।
जेनेरिक दवाओं के चैप्टर्स को सभी तरह के फार्मेसी एवं मेडिकल से जुड़े एकेडमिक कोर्सेज में शामिल किया जा रहा है ।
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया सभी मेडिकल स्टोर्स में जेनेरिक मेडिसिन की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए पॉलिसी भी बना रही है । इसमें सभी मेडिकल स्टोर्स में जेनेरिक मेडिसिंस के डिस्प्ले के लिए एक अलग सेल्फ होना अनिवार्य किया गया है।
सरकार ने दवा कंपनियों के लिए एक फ़ॉन्ट में दवाओं के जेनेरिक नामों को मुद्रित ( छापना) करना अनिवार्य कर दिया, जो ब्रांड नाम से दुगना बड़े फ़ॉन्ट ( Font) मैं होना चाहिए

नरेंद्र मोदी जी के इस कदम से भारत की अपनी Indigenous Affordable Drug (Generic) Manufacturing Industry को Boost up के साथ-साथ Future Safeguard भी मिलेगा । साथ ही देश की जनता को वर्तमान में मिल रही गुणवत्ता (Quality ) की बराबर की गुणवत्ता वाले उत्पाद (Products) वर्तमान कीमत से कई गुना कम कीमत पर उपलब्ध हो पाएंगे। इससे एक अच्छा काम यह भी होगा कि देश की अर्थव्यवस्था में बिना बिना कोई मेजर परिवर्तन किए एक साथ है प्रति व्यक्ति /परिवार ( Per Ca-pita )सेविंग और Purchasing पावर बढ़ जाएगी इससे अर्थव्यवस्था को बड़ा उछाल मिलने की उम्मीद है ।
इसका सबसे बड़ा फायदा तो देश की उस 40 से 45% जनता को मिलेगा जो आज भी अफॉर्डेबिलिटी नहीं कर पाने के कारण अच्छा व संपूर्ण हेल्थ केयर प्राप्त नहीं कर पा रहे थी।






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